Caring The Caregivers The Domestic Workers of India
This book is on the domestic workers of India. It widely covers the many different aspects of this indispensable workforce to make it visible to the policy-makers, to the social scientists and to the people at large. The global and the Indian perspectives differ to some extent. The book considers the global perspective as a background against which it discusses the case of Indian domestic workers. Starting from conceptualising the workforce, the book goes on to discuss its features, the problems it faces, its organizing capacity, its migratory character, the wages it gets, the legal coverage it has, its sufferings in the Covid-19 pandemic and ends up with a look towards the future. The book has made a sincere attempt to give a detailed analysis of the domestic workers of India hoping to reach a wide range of readers. People interested in women’s studies will also find the book useful as it focuses on the women domestic workers.
Ek Gram Jaatak Kee Aatmakatha
मेरी आत्मकथा का यह दूसरा खंड आपके हाथ में है \ पिछले खंड में मैंने अपने पूर्वजों, माता-पिता, अन्य स्वजनों, अपने जन्म तथा पालन-पोषण के बारे में लिखा था \ उसके बाद किस प्रकार कष्टसाध्य ग्रामीण विद्यालयों के परिवेश में मेरी शिक्षा आदि हुई और परिस्थितियों ने बार-बार अपने लक्ष्य से मुझे भटका दिया, उसका भी उल्लेख है \ किंतु मुझे जो भी मिला वह मेरे लक्ष्य से अच्छा मिला जिसे आदिशक्ति जगदंबा का प्रसाद जानकर ग्रहण करता गया \ मुझे अनुभव हुआ कि कृपा कष्ट के साथ मिलती है तभी कृपालु के प्रति श्रद्धा और विश्वास प्रगाढ़ होता जाता है \
ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक जीव को जातक कहा जाता है, अतः इस आत्मकथा में ‘जातक’ शब्द का प्रयोग किया गया है \ अपने वाराणसी प्रवास के समय मुझे कुछ विद्वानों से मिलने के बाद ऐसे अनुभव हुए कि मेरे जीवन पर ग्रहों का प्रभाव स्पष्ट है \ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के आचार्य पं. रामचंद्र पांडे, जिनका उल्लेख इस पुस्तक के पहले खंड में आया है, मेरे जीवन की घटनाओं पर एक शोध करवाना चाहते थे; किंतु उस समय मैं उन घटनाओं को लिपिबद्ध नहीं कर पाया था \ अब वह सेवानिवृत्त और रोग ग्रसित होने के कारण ऐसा शोध करने में असमर्थ हैं \ अन्य ऐसे ज्योतिषी मुझे नहीं मिले जिनसे अपने जीवन की अच्छी या बुरी घटनाओं का संबंध ग्रहों से जान पाता \ फिर भी इन घटनाओं पर ग्रह-दशाओं के प्रभाव को मैं स्वतः अनुभव करता रहा जिसका उल्लेख मैंने स्वयं कहीं-कहीं इस पुस्तक में किया है \
पिछले खंड में भगवती कृपा से अकस्मात ब्रिटेन में प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने के आश्चर्यजनक सरकारी निर्णय का पालन करने में हिचकिचाहट का मैंने उल्लेख किया था \ अंततोगत्वा अक्टूबर १९८६ में दिल्ली से लंदन होते हुए बाथ विश्वविद्यालय के लिए प्रस्थान किया \ तारतम्यता बनाए रखने के लिए मैंने इस खंड की कथा वहीँ से शुरू किया है \ मेरा प्रयास रहा कि इस प्रवास में जो कुछ देखा, सुना, पढ़ा, समझा उसका सारांश सचित्र आप के समक्ष रखूँ ताकि जिनको ऐसे अवसर नहीं मिले उनको भी इसका लाभ मिले \ इसमें इंग्लॅण्ड में पढ़ाई तथा यूरोप के कुछ अनुभव, उसके साथ मेरी प्रोन्नति और आयकर आयुक्त और महानिदेशक के रूप में मेरे कार्य और सुख-दुःख आदि शामिल हैं \
अपने देश में वापस आने पर भी मुझे कई ऐसे स्थानों पर जाने का अवसर मिला जो अद्भुत हैं \ उनका तथा मेरे पारिवारिक उल्लास और कठिनाइयों का भी सचित्र सारांश इस खंड में देने का प्रयास किया है \ इस प्रक्रिया में पूरे जीवन को एक बार फिर से जीना पड़ा जो कभी सुखदायी और कभी दुखदायी था \ मुझे प्रायः सुख भी दुःख के वेष्ठन में लिपटा हुआ मिला \इस कथा में कुछ को छोड़कर अन्य तथ्य स्मृति के आधार पर और कुछ इंटरनेट से प्राप्त करके लिखे गए हैं इसलिए समय-काल आदि से संबंधित भूलें हुई हों तो पाठक गण मुझे कृपया सूचित करें ताकि अगले संस्करण में सुधार हो सके \
Humour In Happiness Curriculum
[kc_row use_container=”yes” _id=”266817″][kc_column width=”12/12″ video_mute=”no” _id=”496346″][kc_column_text _id=”319091″] उत्सवधर्मी शिक्षण और हास्य पुस्तक आपके हाथों में है। उत्सवधर्मी शिक्षण श्री अरविंद
Little things Matter
Little things Matter
Paschatya Samaj Vaigyanik sidhant ( Western Sociological Theory)
अध्ययन के दौरान ही डॉ. तीरविजय सिंह ने समाजशास्त्र के विद्यार्थी के रूप में अपनी विशेष पहचान बना ली थी। 90 के दशक का सामयिक व ज्वलंत मुद्दा नक्सली आंदोलन और हिंसा पर देश के समाजशास्त्रियों की पैनी निगाह थी। तब बिहार का दक्षिण-मध्य इलाका पूरी तरह नक्सली हिंसा और उसके प्रतिशोध में धधक रहा था। ऐसे संवेदनशील काल में तीरविजय सिंह ने बतौर अध्येता पारस बिगहा, कंसारा, अरवल, नोनही नगवा, शंकर बिगहा, नारायणपुर, सेनारी आदि दर्जनभर के करीब नरसंहारों के लिए ख्यात बिहार के जहानाबाद जिले को अध्ययन क्षेत्र के रूप में चुना। 1993 में भूमि सुधार और जाति संघर्ष पर शोध प्रबंध पूरा होने के कुछ ही दिनों बाद अध्यापन का शौक पूरा करने का अवसर मिला। इस दौरान स्वतंत्र पत्रकार के रूप में वाराणसी से प्रकाशित स्वतंत्र भारत समाचार पत्र से भी जुड़े रहे। जनवरी 1994 से वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के सहकारी पीजी कॉलेज में अगले पांच वर्षों तक स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्यापन का अनुभव अर्जित करते रहे। भारतीय सामाजिक व्यवस्था पर पहली पुस्तक लिखी जिसका नाम समकालीन भारतीय समाज है।
Police Administration in Chhattisgarh (1947-1975)
The role of police in any civilized society is self-evident. The traditional role of police is to maintain law & order and curb the crimes. Organized police performs threefold task on behalf of society: it protects, it integrates and it develops. The police in society is what grammar is to language. The present system of police administration, traces its origin in the British administrative system. System of police administration in Chhattisgarh from the being did not have any structure until the coming of British in this part of region. Thus there would be no exaggeration in saying that the structure of police administration of the present Chhattisgarh is largely based on the administrative foundation of the Central Provinces.
Prachand Jeet Sifar Se Shikhar Tak
आरएसएस(RSS) की शुरुआत कैसे हुई और किस विचारधारा को लेकर संघ की शुरुआत की गई? साथ ही, किन महान व्यक्तियों ने संघ को एक मजबूत संगठन बनाया और संघ ने देश के लिए अपने कितने महत्वपूर्ण योगदान दिए। भारतीय जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी तक का सफर कैसा रहा? क्योंकि बीजेपी बनने से पहले बीजेपी का खुद का भी एक इतिहास है। वहीं कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल के दौरान साल 1984 में सिख विरोधी दंगे क्यों हुए और इसके पीछे क्या कारण रहे। साथ ही दंगे करने वाले और आतंक फैलाने वालों को कोर्ट ने क्या सज़ा दी। साथ ही, शाहबानो केस क्या था और क्यों कांग्रेस ने कट्टरपंथी मुसलमानों की बात मानी। किस तरह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लोकसभा में पलट दिया गया।
साल 1989 से 2019 तक का कांग्रेस और भाजपा का राजनीतिक सफर कैसा रहा। इस दौरान कौन-सी पार्टी जीतकर सत्ता में आई और पार्टी में क्या-क्या हुआ। कैसे और कितनी मुश्किलों का सामना कर बीजेपी पार्टी जीतकर पहली बार सत्ता में आई। अपने कार्यकाल के शुरूआती दिनों में ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने परमाणु परिक्षण कर दुनिया को कैसे चौंका दिया। वहीं पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए लाहौर बस यात्रा की और उन्हें किस तरह पाकिस्तानी सरकार ने धोखा दिया, जिस वजह से कारगिल युद्ध हुआ। देश को विकास की राह पर आगे बढ़ाने के लिए के लिए क़िस तरह की महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया गया। वहीं इस दौरान और क्या कुछ घटनाएं और घोटाले हुए। कैसे हमारे देश के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-I, मंगलयान, 104 सैटेलाइट लॉन्च और चंद्रयान-2 का सफलतापूर्वक लॉन्च किया, इसके बारे में जानकारी दी गई है। साथ ही, साल 2014 से लेकर 2019 तक भाजपा की लागू की गई योजनाओं और अभियानों के बारे में भी जानकारी दी गई है। जिसमें प्रधानमंत्री जन धन योजना, नोटबंदी, (गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST), बुलेट ट्रेन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता अभियान, अंतराष्ट्रीय योग दिवस शामिल हैं। वहीं आतंक पर लगाम लगाने के लिए कैसे बीजेपी सरकार ने आतंकियों के खिलाफ सजिर्कल स्ट्राइक की।
तीन तलाक क्या था और किस तरह मुस्लिम महिलाओं को इस सामाजिक कुरीति से छुटकारा दिलवाया। धारा 35A, अनुच्छेद 370 और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन(NRC) क्या है। इन्हें कैसे लागू किया गया उसके बारे में जानकारी दी गई है। साल 2019 का लोकसभा चुनावी परिणाम क्या रहा और किस पार्टी को कितनी सीटें मिली। साथ ही, हर राज्य के क्षेत्रों के बारे में भी जानकारी दी गई है कि उन क्षेत्रों की सीटों से कौन-सा और किस पार्टी का उम्मीदवार जीता। कितने लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हुए वोट किया और कितने प्रतिशत लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया।