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1857 The Women Warriors of Jhansi

The year of 1857 is very significant in the history of War for Indian independence. Rani Laxmi Bai is well known for her war with the British. But very few know that there were scores of women warriors who stood firmly with Rani of Jhansi and sacrificed their lives in the war of independence.
Among these women warriors, there were Santanies, Muslims, tribals, nomads and even those outlaws who had revolted against the British. British called them dacoits. There was a Muslim Mundar Khatun, the bodyguard of Rani of Jhansi who protected her queen till her last breath.
Moti Bai, the Muslim royal dancer laid down her life for her queen. Another woman warrior was Jhalkari Bai who helped the queen to escape from the fort when it was surrounded by the British. Mundar was with her queen till both of them succumbed due to fatal injuries.
Jhansi fort has three graves in it. They are of Ghaus Khan, Moti Bai and Khuda Baksh. These three stood by their queen and laid down their lives fighting against the British. Banda ruler Nawab Ali Bahadur (II) was foster brother of Laxmi Bai who stood by her against the British.
It is unfortunate that some narrow-minded people are creating a wedge among different communities; especially between Sanatanies and Muslims.
This drama has been written with a view to make the people aware of the sacrifices of Muslim and other communities in protecting their motherland. Rest in the drama.

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹495.00.
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Bund Gali (Raajmahal)

भारत के मध्यकाल में राजमहल एक ऐसी राजधानी हुआ करती थी, जहाँ से बंगाल, बिहार, उड़ीसा और ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) तक शासन चलाया जाता था। गंगा नदी के किनारे बसा हुआ शहर राजमहल अब झारखण्ड राज्य का छोटा सा इलाका मात्र है। राजमहल को मुग़ल बादशाह अकबर के प्रधान सेनापति मानसिंह ने 16वीं सदी के अंत में अपनी राजधानी बनाई थी। तब  वह बंगाल का गवर्नर हुआ करता था। यह इलाका एक तरफ से पहाड़ी श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है

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BundGali (Raajmahal)

भारत के मध्यकाल में राजमहल एक ऐसी राजधानी हुआ करती थी, जहाँ से बंगाल, बिहार, उड़ीसा और ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) तक शासन चलाया जाता था। गंगा नदी के किनारे बसा हुआ शहर राजमहल अब झारखण्ड राज्य का छोटा सा इलाका मात्र है। राजमहल को मुग़ल बादशाह अकबर के प्रधान सेनापति मानसिंह ने 16वीं सदी के अंत में अपनी राजधानी बनाई थी। तब  वह बंगाल का गवर्नर हुआ करता था। यह इलाका एक तरफ से पहाड़ी श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है, जो पहाड़िया जनजाति का उन दिनों से निवास स्थान रहा है, जब सिन्धु घाटी की सभ्यता का पतन हुआ था। किन्तु अब ये पहाड़ खतरे में हैं। यहाँ व्यापक पैमाने पर पत्थरों के हो रहे कारोबार की वजह से राजमहल की पहाड़ियों को जिस तरह से तोड़ा जा रहा है, वे आने वाले समय में यहाँ के इतिहास को पूरी तरह से मिटा देंगे। गंगा भी सिकुड़ती चली जा रही है। राजमहल अब खोयी हुई राजधानी से भी आगे बढ़कर एक “बंद गली” के रूप में परिवर्तित हो चुका है। यह पुस्तक सत्य घटनाओं पर आधारित है।

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HISTORY OF ANCIENT INDIA

 

History of Ancient India is written for undergraduate students of Indian universities. This book, based on the NEP syllabus, contains the chapters on-

The Indus Civilisation; The Vedic Age; The Heterodox Sects- Buddhism and Jainism; The Mauryan Age; The Post-Maurya Dynasties- the Kushana and the Satavahana; The Gupta Age; The Post-Gupta Period – Harshavardhana and After; The South Indian Dynasties- Pallava and Chola; and Bibliography.

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Maratha Raftar

मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद बंगाल अपनी ऐंठन में जी रहा था। यही वक़्त था जब नागपुर के मराठा सरदार राघोजी भोंसले की सेना ने 1742 में बंगाल पर पहला आक्रमण किया। प्रथम आक्रमण का नेतृत्व मराठों के सबसे शक्तिशाली सेनापति भाष्कर राव ने किया था, जिसके साथ खतरनाक बरगी सैनिक थे। उस समय बंगाल का नवाब अलीवर्दी खां था, जो अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से बंगाल, बिहार, उड़ीसा और वर्त्तमान बांग्लादेश पर राज करता था। प्रथम आक्रमण में मराठों ने बंगाल और उड़ीसा के बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया। मराठों के इस आक्रमण से ईस्ट इंडिया कम्पनी इतनी भयभीत थी कि उसने फोर्ट विलियम की सुरक्षा के लिए कलकत्ता में एक विशाल गड्ढे का निर्माण कराया, जिसे ‘मराठा डिच’ कहा जाता था। मराठों के दूसरे आक्रमण में नागपुर के मराठा सरदार सेना साहिब राघोजी भोंसले खुद विशाल सेना के साथ बंगाल आए। किन्तु अलीवर्दी खां ने एक चाल चली। उसने अपनी सुरक्षा के लिए राघोजी भोंसले के दुश्मन पेशवा वालाजी राव को बंगाल में आमंत्रित किया। पेशवा वालाजी राव अपने चालीस हजार घुड़सवार सेना के साथ बंगाल आए और राघोजी भोंसले को पराजित कर दिया। किन्तु पेशवा के वापस चले जाने के बाद नागपुर के मराठे रुके नहीं। उन्होंने बंगाल पर फिर से आक्रमण किया। अब नवाब अलीवर्दी खां ने षड्यंत्र का सहारा लिया और भाष्कर राव सहित मराठों के बाईस सिपहसालारों की धोखे से हत्या करवा दी। फिरभी मराठे लगातार आक्रमण करते रहे और अंत में अलीवर्दी खां ने जब छत्रपति शाहूजी माहराज को चौथ (कर) देना स्वीकार किया, तब एक समझौते के तहत मराठों ने बंगाल पर आक्रमण बंद कर दिए। रहस्य और रोमांच से भरे इस पुस्तक के सभी पात्र, स्थान और घटनाएँ सत्य हैं।

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Police Administration in Chhattisgarh (1947-1975)

Police Administration in Chhattisgarh (1947-1975)

The role of police in any civilized society is self-evident. The traditional role of police is to maintain law & order and curb the crimes. Organized police performs threefold task on behalf of society: it protects, it integrates and it develops. The police in society is what grammar is to language. The present system of police administration, traces its origin in the British administrative system. System of police administration in Chhattisgarh from the being did not have any structure until the coming of British in this part of region. Thus there would be no exaggeration in saying that the structure of police administration of the present Chhattisgarh is largely based on the administrative foundation of the Central Provinces.
Basically this book is based on research work (PhD thesis). The study & research on this important subject does not seem to have received a wider academic attention not merely because police is an unpleasant topic but also for the reason that necessary materials are not easy to obtain from the concerned department which operates, by and large, under veil of secrecy there is growing tendency to bring out the different aspect of regional history.

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Srividya Chakrachachan Mahayag (Darshan,Vaigyanik, Vimarsh, Vidhi)

प्राचीन काल से ही साधकों में श्रीविद्या के प्रति उत्सुकता रही है,परन्तु वर्तमान के भौतिक समृद्धि के युग में आमजन में भी उत्सुकता बढ़ी है। जिससे श्रीयंत्र बाजार की वस्तु हो गया है,लोग उत्सुकता व आशा से अपने घरों में स्थापित कर रहे हैं,परन्तु कोई सकारात्मक प्रभाव न होने के कारण श्रीविद्या की महत्ता संदेहास्पद हो रही है। शास्त्रोक्त बातें मिथ्या लग रही है,जिसका कारण दर्शन व उपासना विधि के ज्ञान का अभाव है,जबकि इससे संबंधित विपुल साहित्य एवं सिद्ध,संतो के अनेक मठ,आश्रम भी बाजार में उपलब्ध है, परन्तु विशद व्याख्या व दुरूह शैली के कारण जिज्ञासु भ्रमित और शोषित हो रहे हैं। साधना में प्रवेश करने के पश्चात कठिनाइयों या निष्फलता के कारण हताशा व अविश्वास फैल रहा है। ऐसी परिस्थिति में सिद्ध गुरूजनों का दायित्व गुरुतर हो जाता है,क्योंकि शक्ति साधना गुरुगम्य है अर्थात गुरु के बिना संभव नहीं है पर आज के युग में गुरु खोजना भी एक सिद्धि प्राप्त करना ही है। इसलिए ऐसी स्थिति में यह पुस्तक श्रीविद्या जिज्ञासु जन के लिए सहज मार्ग दर्शन में उपयोगी है।-अघोरानन्द नाथ(पीठाधीश्वर परमेश्वरी शक्ति पीठ देवरिया उप्र)

Original price was: ₹500.00.Current price is: ₹449.00.
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प्रचंड जीत सिफ़र से शिखर तक

प्रचंड जीत सिफ़र से शिखर तक

आरएसएस(RSS) की शुरुआत कैसे हुई और किस विचारधारा को लेकर संघ की शुरुआत की गई? साथ ही, किन महान व्यक्तियों ने संघ को एक मजबूत संगठन बनाया और संघ ने देश के लिए अपने कितने महत्वपूर्ण योगदान दिए। भारतीय जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी तक का सफर कैसा रहा? क्योंकि बीजेपी बनने से पहले बीजेपी का खुद का भी एक इतिहास है। वहीं कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल के दौरान साल 1984 में सिख विरोधी दंगे क्यों हुए और इसके पीछे क्या कारण रहे। साथ ही दंगे करने वाले और आतंक फैलाने वालों को कोर्ट ने क्या सज़ा दी। साथ ही, शाहबानो केस क्या था और क्यों कांग्रेस ने कट्टरपंथी मुसलमानों की बात मानी। किस तरह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लोकसभा में पलट दिया गया।
साल 1989 से 2019 तक का कांग्रेस और भाजपा का राजनीतिक सफर कैसा रहा। इस दौरान कौन-सी पार्टी जीतकर सत्ता में आई और पार्टी में क्या-क्या हुआ। कैसे और कितनी मुश्किलों का सामना कर बीजेपी पार्टी जीतकर पहली बार सत्ता में आई। अपने कार्यकाल के शुरूआती दिनों में ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने परमाणु परिक्षण कर दुनिया को कैसे चौंका दिया। वहीं पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए लाहौर बस यात्रा की और उन्हें किस तरह पाकिस्तानी सरकार ने धोखा दिया, जिस वजह से कारगिल युद्ध हुआ। देश को विकास की राह पर आगे बढ़ाने के लिए के लिए क़िस तरह की महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया गया। वहीं इस दौरान और क्या कुछ घटनाएं और घोटाले हुए। कैसे हमारे देश के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-I, मंगलयान, 104 सैटेलाइट लॉन्च और चंद्रयान-2 का सफलतापूर्वक लॉन्च किया, इसके बारे में जानकारी दी गई है। साथ ही, साल 2014 से लेकर 2019 तक भाजपा की लागू की गई योजनाओं और अभियानों के बारे में भी जानकारी दी गई है। जिसमें प्रधानमंत्री जन धन योजना, नोटबंदी, (गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST), बुलेट ट्रेन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता अभियान, अंतराष्ट्रीय योग दिवस शामिल हैं। वहीं आतंक पर लगाम लगाने के लिए कैसे बीजेपी सरकार ने आतंकियों के खिलाफ सजिर्कल स्ट्राइक की।
तीन तलाक क्या था और किस तरह मुस्लिम महिलाओं को इस सामाजिक कुरीति से छुटकारा दिलवाया। धारा 35A, अनुच्छेद 370 और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन(NRC) क्या है। इन्हें कैसे लागू किया गया उसके बारे में जानकारी दी गई है। साल 2019 का लोकसभा चुनावी परिणाम क्या रहा और किस पार्टी को कितनी सीटें मिली। साथ ही, हर राज्य के क्षेत्रों के बारे में भी जानकारी दी गई है कि उन क्षेत्रों की सीटों से कौन-सा और किस पार्टी का उम्मीदवार जीता। कितने लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हुए वोट किया और कितने प्रतिशत लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया।

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