Gyan Punj
अत्यंत खुशी की बात है कि यह पुस्तक ज्ञान पुंज मेरे द्वारा लिखित ‘‘सकारात्मक एवं प्रेरणादायक’’ विचारों से युक्त पुस्तक है। जिसे मैंने बड़ी लगन एवं मेहनत के बाद आप तक पहुंचा पाया है। इस पुस्तक की बड़ी खासियत यह है कि इसमें कुल 2230 (सूक्ति वाक्य) सुविचार हिन्दी वर्णमाला के अनुसार व्यवस्थित ढंग से प्रकाशित हैं। साथ ही किसी व्यंजन अक्षर से शुरू होकर सुविचार वर्णमाला के अनुसार बढ़ते जाते हैं। तीसरी खासियत यह है कि किसी सुविचार के दूसरा अक्षर भी बारहखड़ी एवं वर्णमाला के अनुसार व्यवस्थित कर बढ़ाया गया है। जो बहुत ही सरल एवं सुबोध भाषा शैली में लिखी गई है। ताकि हर किसी को आसानी से समझ आ सकें। अच्छी-अच्छी पुस्तकें पढ़ने से ज्ञान मिलता है और उस पाए हुए ज्ञान से व्यक्ति पहले से कहीं अधिक जागरूक होकर अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है। सारगर्भित तथ्यों एवं विचारों को देखा जाए तो यह पुस्तक ‘‘गागर में सागर’’ के समान है। जिसमें बच्चे, विद्यार्थी,युवा वर्ग, अध्यापक, व्यवसायी से लेकर हर तरह के लोगों के लिए ज्ञान की बातें, संस्कार,नैतिकता,सामाजिक समरसता,राष्ट्र के प्रति प्रेम-निष्ठा सफलता पाने के रहस्य एवं आदर्श समाज व्यवस्था बनाने से संबंधित सुविचार पढ़ने को मिलेंगे । उन्हें आप ध्यान लगाकर अध्ययन और चिंतन-मनन करेंगे तो निश्चित रूप से भविष्य में अपने आचार-विचार,जीवन शैली, रहन-सहन एवं कार्य करने के तौर-तरीके में बदलाव व सुधार दिखाई देगी। इससे आप में नई सोच, चेतना, सकारात्मक सोच, जज्बा, लगन ज्ञान मिलेंगे, आनंद का एहसास होगा और अपने अंतर्मन में ऊर्जा का संचार भी होगा। इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य भी यही है। यह पुस्तक निश्चित ही समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगी। ऐसी मेरी आशा है।
आदरणीय पाठकों इस पुस्तक को प्रकाशित करते समय हर वाक्य को दोष रहित करने का प्रयास किया गया था। फिर भी कहीं न कहीं व्याकरणीय त्रुटियां हो सकती हैं। उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। आशा है कि यह पुस्तक आप सभी महानुभवों के लिए ज्ञानवर्धक, सामाजिक मूल्यों को उभारने, दर्शन कराने, उज्ज्वल भविष्य निर्माण एवं आदर्श समाज व्यवस्था निर्माण कराने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आप इस पुस्तक से अधिकाधिक ज्ञान लाभ उठाएं और एक आदर्श व्यक्ति बनकर गरिमामयी जिंदगी व्यतीत करें।आप सभी का स्नेह सदैव मिलता रहे। आपकी सफलता,खुशियां मेरी संतुष्टि है। आप सफल व्यक्ति बनें और सफलता की खुशियां बाँटें। आप सभी पाठकों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। इसी आशा और विश्वास के साथ………..।
Gyan Sagar
अत्यंत खुशी की बात है कि यह पुस्तक ज्ञान पुंज मेरे द्वारा लिखित ‘‘सकारात्मक एवं प्रेरणादायक’’ विचारों से युक्त पुस्तक है। जिसे मैंने बड़ी लगन एवं मेहनत के बाद आप तक पहुंचा पाया है। इस पुस्तक की बड़ी खासियत यह है कि इसमें कुल 2230 (सूक्ति वाक्य) सुविचार हिन्दी वर्णमाला के अनुसार व्यवस्थित ढंग से प्रकाशित हैं। साथ ही किसी व्यंजन अक्षर से शुरू होकर सुविचार वर्णमाला के अनुसार बढ़ते जाते हैं। तीसरी खासियत यह है कि किसी सुविचार के दूसरा अक्षर भी बारहखड़ी एवं वर्णमाला के अनुसार व्यवस्थित कर बढ़ाया गया है। जो बहुत ही सरल एवं सुबोध भाषा शैली में लिखी गई है। ताकि हर किसी को आसानी से समझ आ सकें। अच्छी-अच्छी पुस्तकें पढ़ने से ज्ञान मिलता है और उस पाए हुए ज्ञान से व्यक्ति पहले से कहीं अधिक जागरूक होकर अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है। सारगर्भित तथ्यों एवं विचारों को देखा जाए तो यह पुस्तक ‘‘गागर में सागर’’ के समान है। जिसमें बच्चे, विद्यार्थी,युवा वर्ग, अध्यापक, व्यवसायी से लेकर हर तरह के लोगों के लिए ज्ञान की बातें, संस्कार,नैतिकता,सामाजिक समरसता,राष्ट्र के प्रति प्रेम-निष्ठा सफलता पाने के रहस्य एवं आदर्श समाज व्यवस्था बनाने से संबंधित सुविचार पढ़ने को मिलेंगे । उन्हें आप ध्यान लगाकर अध्ययन और चिंतन-मनन करेंगे तो निश्चित रूप से भविष्य में अपने आचार-विचार,जीवन शैली, रहन-सहन एवं कार्य करने के तौर-तरीके में बदलाव व सुधार दिखाई देगी। इससे आप में नई सोच, चेतना, सकारात्मक सोच, जज्बा, लगन ज्ञान मिलेंगे, आनंद का एहसास होगा और अपने अंतर्मन में ऊर्जा का संचार भी होगा। इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य भी यही है। यह पुस्तक निश्चित ही समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगी। ऐसी मेरी आशा है।
आदरणीय पाठकों इस पुस्तक को प्रकाशित करते समय हर वाक्य को दोष रहित करने का प्रयास किया गया था। फिर भी कहीं न कहीं व्याकरणीय त्रुटियां हो सकती हैं। उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। आशा है कि यह पुस्तक आप सभी महानुभवों के लिए ज्ञानवर्धक, सामाजिक मूल्यों को उभारने, दर्शन कराने, उज्ज्वल भविष्य निर्माण एवं आदर्श समाज व्यवस्था निर्माण कराने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आप इस पुस्तक से अधिकाधिक ज्ञान लाभ उठाएं और एक आदर्श व्यक्ति बनकर गरिमामयी जिंदगी व्यतीत करें।आप सभी का स्नेह सदैव मिलता रहे। आपकी सफलता,खुशियां मेरी संतुष्टि है। आप सफल व्यक्ति बनें और सफलता की खुशियां बाँटें। आप सभी पाठकों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। इसी आशा और विश्वास के साथ………..
Idea of Bharat – Based on New UGC Syllabus
Idea of Bharat is based on the new syllabus of B. A. First Semester students of History, as has been introduced in many universities following the guidelines of UGC.
JEEVAN JEENA KA RAHSYA KYA HAI
जीवन जीने का रहस्य अपने आप में ऐसा सवाल है जो इस दुनिया में जीने वाले हर इंसान से तालुक रखता है। कुछ लोग कहते है की जीवन अतीत की परछाई है । कुछ लोगो के लिए जीवन भविष्य की सोच है। कुछ लोग इसे वर्तमान का रूप कहते है। कुछ इसे सुख और दुख का भाव मानते है । पर आप कोई भी धरम- जाती के हो , एक बात हर इंसान में देखी गयी है की जीवन का आखिरी सच जीवन का अंत है पर हर इंसान इस बात को अनमने तरीके से यकीन करने से कतराता है ।
Muktipath – bihaar kee prakaash yaatra
‘धर्म का मुख्य उद्देश्य है, देश और जगत की उन्नति करना। मानव समुदाय में पारस्परिक प्रीति की भावना का उद्वेग
Muktipath – bihaar kee prakaash yaatra HB
‘धर्म का मुख्य उद्देश्य है, देश और जगत की उन्नति करना। मानव समुदाय में पारस्परिक प्रीति की भावना का उद्वेग पैदा करना,
विद्या का आलोक पुंज जलाकर अज्ञानता को दूर करना। केवल परमात्मा में विश्वास रखना और उसकी उपासना में जीवन बीता देना धर्म नहीं है। धर्म का अर्थ सदाचार का जीवन व्यतीत करना, अर्थ, काम और मोक्ष के उद्देश्यों की प्राप्ति करना है। उत्तम आचरण से ही सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसी का नाम धर्म है।‘
महर्षि दयानन्द सरस्वती
NEW MEDIA AND FAMILY COMMUNICATION
New media use has been a staple for the youth, especially since the advent of smartphones. But as per various reports and studies, its implications are not limited to a ‘sundry consumption of content’, but to a paradigmatic transformation in how the users think and behave in their interpersonal and social space. When the new media users/practitioners indulge in excessive internet use, their attention becomes scarce in the usual interactional area of family affairs. The author’s focus has been as to what kind of changes are occurring in the family environment under the influence of dynamic, individualistic, interactive, dialogical internet operation in second media age, by the compulsive indulgence of agency in new media.
The book documents the exploratory work undertaken by the author to characterize the ‘new media practitioner student agency’ of the universities in NCR region, built under the influence of mobile/internet use, i.e., their identity, traits, volume of new media use, lifestyle and their communication within the household.