दुर्भाग्य की बात है कि भारत और पाकिस्तान दो निकटतम पड़ोसी होने के बावजूद 1947 से लेकर आज तक आपस में कभी भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित नहीं कर सके। बीते लगभग 73 वर्शों में इन दोनों देषों ने आपस में कई बार बाका युद्ध लड़ा। बीसियों बार न केवल सीमा पर बल्कि कारगिल तक की ऊँचाईयों पर भी आपस में युद्ध जैसी पारिस्थितियाँ उत्पन्न हुई। इतिहास साक्षी है कि युद्ध के मोर्चों और सीमा के हर मोर्चें पर पाकिस्तान को लज्जाजनक हार का सामना ही करना पड़ा। प्रस्तुत पुस्तक ‘‘युद्ध के मोर्चो पर ‘‘ 1965 में दोनों देषों के बीच हुये युद्ध की भारतीय सेना के “ाौर्य एवं गौरव की एक ऐसी कहानी है जिसके पात्र भारतीय सेना के वीर जवान हैं और इनके पीछे खड़े भारत के जन-जन हंै।
भारतीय सेना की अभूतपर्व वीर्य गाथाओं एवं “ाानदार पराक्रम के इतिहास को सजीव …………. यह पुस्तक जितनी बार आप पढ़ंेगे उतनी बार आपके दिल की धड़कने बंद भी, उतनी ही बार आप ‘जय जवान’ पुकार कर तिरंगें को सलाम करेंगे और उससे बहुत अधिक बार आप अपने भारतीय होने का गर्व अनुभव करेंगे।
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