एक कलमकार जो देखता है,भोगता है, महसूसता है उसे ही कागज पर कलम के माध्यम से परोस कर पाठकों के समक्ष पेश करता है।अपनी संवेदनशीलता और अनुभूतियों को पाठकों से साझा करना एक कलमकार
की विवशता है। इसी विवशता ने मुझे कविता रचने को मजबूर किया।
आस-पास की घटनाओं और परिस्थितियों से प्रभावित होकर मैं अपनी संवेदनशीलता को शब्दों में ढाल देती हूँ जो कविता बन जाती है। अपनी लेखनी के माध्यम से मैं पारिवारिक संकीर्णता और सामाजिक बुराइयों को दूर करना चाहती हूँ। तमाम दुख,पीड़ा और नैराश्य को दूर हटा पाठकों के मन मे जीवन और जगत के प्रति सकारात्मकता का संचार करना मेरी प्रतिबद्धता है।
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