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Srividya Chakrachachan Mahayag (Darshan,Vaigyanik, Vimarsh, Vidhi)

प्राचीन काल से ही साधकों में श्रीविद्या के प्रति उत्सुकता रही है,परन्तु वर्तमान के भौतिक समृद्धि के युग में आमजन में भी उत्सुकता बढ़ी है। जिससे श्रीयंत्र बाजार की वस्तु हो गया है,लोग उत्सुकता व आशा से अपने घरों में स्थापित कर रहे हैं,परन्तु कोई सकारात्मक प्रभाव न होने के कारण श्रीविद्या की महत्ता संदेहास्पद हो रही है। शास्त्रोक्त बातें मिथ्या लग रही है,जिसका कारण दर्शन व उपासना विधि के ज्ञान का अभाव है,जबकि इससे संबंधित विपुल साहित्य एवं सिद्ध,संतो के अनेक मठ,आश्रम भी बाजार में उपलब्ध है, परन्तु विशद व्याख्या व दुरूह शैली के कारण जिज्ञासु भ्रमित और शोषित हो रहे हैं। साधना में प्रवेश करने के पश्चात कठिनाइयों या निष्फलता के कारण हताशा व अविश्वास फैल रहा है। ऐसी परिस्थिति में सिद्ध गुरूजनों का दायित्व गुरुतर हो जाता है,क्योंकि शक्ति साधना गुरुगम्य है अर्थात गुरु के बिना संभव नहीं है पर आज के युग में गुरु खोजना भी एक सिद्धि प्राप्त करना ही है। इसलिए ऐसी स्थिति में यह पुस्तक श्रीविद्या जिज्ञासु जन के लिए सहज मार्ग दर्शन में उपयोगी है।-अघोरानन्द नाथ(पीठाधीश्वर परमेश्वरी शक्ति पीठ देवरिया उप्र)

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SKU: 9789355453921 Category:

प्राचीन काल से ही साधकों में श्रीविद्या के प्रति उत्सुकता रही है,परन्तु वर्तमान के भौतिक समृद्धि के युग में आमजन में भी उत्सुकता बढ़ी है। जिससे श्रीयंत्र बाजार की वस्तु हो गया है,लोग उत्सुकता व आशा से अपने घरों में स्थापित कर रहे हैं,परन्तु कोई सकारात्मक प्रभाव न होने के कारण श्रीविद्या की महत्ता संदेहास्पद हो रही है। शास्त्रोक्त बातें मिथ्या लग रही है,जिसका कारण दर्शन व उपासना विधि के ज्ञान का अभाव है,जबकि इससे संबंधित विपुल साहित्य एवं सिद्ध,संतो के अनेक मठ,आश्रम भी बाजार में उपलब्ध है, परन्तु विशद व्याख्या व दुरूह शैली के कारण जिज्ञासु भ्रमित और शोषित हो रहे हैं। साधना में प्रवेश करने के पश्चात कठिनाइयों या निष्फलता के कारण हताशा व अविश्वास फैल रहा है। ऐसी परिस्थिति में सिद्ध गुरूजनों का दायित्व गुरुतर हो जाता है,क्योंकि शक्ति साधना गुरुगम्य है अर्थात गुरु के बिना संभव नहीं है पर आज के युग में गुरु खोजना भी एक सिद्धि प्राप्त करना ही है। इसलिए ऐसी स्थिति में यह पुस्तक श्रीविद्या जिज्ञासु जन के लिए सहज मार्ग दर्शन में उपयोगी है।-अघोरानन्द नाथ(पीठाधीश्वर परमेश्वरी शक्ति पीठ देवरिया उप्र)

Weight 0.400 kg
Dimensions 22 × 15 × 2 cm
Author

R.Achal

Publisher

Namya press

Series

Paperback

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