पुस्तक में पर्यटन की आवधारणा को स्पष्ट करते हुये, उसके महत्व, विशेषताओं एवं प्रेरक तत्वों पर प्रकाश डाला गया है। प्राचीन युग से लेकर आधुनिक काल तक पर्यटन का इतिहास प्रस्तुत किया गया है। पर्यटन के विस्तार क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुये पर्यटन उद्योग की समस्याओं एवं चुनौतियों को भी समझाया गया है। पर्यटन के विस्तार को देखते हुये पर्यटन के आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों की व्याख्या की गई है। भारत एवं मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर प्रकाश डाला गया है। पर्यटन संगठनों, टेªवल एजेन्सी एवं टूर ऑपरेटरों द्वारा पर्यटन विपणन के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों की विवेचना की गई है। पर्यटन के महत्व को देखते हुये पर्यटकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। पर्यटन गाइडों की मांग भी बढ़ रही है। पर्यटन के क्षेत्र में रोजगारों का तेजी से सृजन हो रहा है। ऐसी स्थिति में क्यों पर्यटन प्रबंधन आवश्यक हो गया है? इसका सविस्तार विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। पर्यटन एवं प्रबंधन में सूचना स्रोत एवं सांख्यिकी के महत्व को भी रेखांकित किया गया है।
Paryatan ka itihaas, vipanan aur prabandhan / History, Marketing & Mangement of Tourism
पुस्तक में पर्यटन की आवधारणा को स्पष्ट करते हुये, उसके महत्व, विशेषताओं एवं प्रेरक तत्वों पर प्रकाश डाला गया है। प्राचीन युग से लेकर आधुनिक काल तक पर्यटन का इतिहास प्रस्तुत किया गया है। पर्यटन के विस्तार क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुये पर्यटन उद्योग की समस्याओं एवं चुनौतियों को भी समझाया गया है। पर्यटन के विस्तार को देखते हुये पर्यटन के आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों की व्याख्या की गई है। भारत एवं मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर प्रकाश डाला गया है। पर्यटन संगठनों, टेªवल एजेन्सी एवं टूर ऑपरेटरों द्वारा पर्यटन विपणन के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों की विवेचना की गई है। पर्यटन के महत्व को देखते हुये पर्यटकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। पर्यटन गाइडों की मांग भी बढ़ रही है। पर्यटन के क्षेत्र में रोजगारों का तेजी से सृजन हो रहा है। ऐसी स्थिति में क्यों पर्यटन प्रबंधन आवश्यक हो गया है? इसका सविस्तार विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। पर्यटन एवं प्रबंधन में सूचना स्रोत एवं सांख्यिकी के महत्व को भी रेखांकित किया गया है।
Weight | .400 kg |
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Dimensions | 22 × 15 × 2 cm |
Author |
B. K. Shrivastava |
Publisher |
Namya press |
Series |
Hardcover |
Editorial Review
पुस्तक में पर्यटन की आवधारणा को स्पष्ट करते हुये, उसके महत्व, विशेषताओं एवं प्रेरक तत्वों पर प्रकाश डाला गया है। प्राचीन युग से लेकर आधुनिक काल तक पर्यटन का इतिहास प्रस्तुत किया गया है। पर्यटन के विस्तार क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुये पर्यटन उद्योग की समस्याओं एवं चुनौतियों को भी समझाया गया है। पर्यटन के विस्तार को देखते हुये पर्यटन के आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों की व्याख्या की गई है। भारत एवं मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर प्रकाश डाला गया है। पर्यटन संगठनों, टेªवल एजेन्सी एवं टूर ऑपरेटरों द्वारा पर्यटन विपणन के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों की विवेचना की गई है। पर्यटन के महत्व को देखते हुये पर्यटकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। पर्यटन गाइडों की मांग भी बढ़ रही है। पर्यटन के क्षेत्र में रोजगारों का तेजी से सृजन हो रहा है। ऐसी स्थिति में क्यों पर्यटन प्रबंधन आवश्यक हो गया है? इसका सविस्तार विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। पर्यटन एवं प्रबंधन में सूचना स्रोत एवं सांख्यिकी के महत्व को भी रेखांकित किया गया है।
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