“ना तो बम गिरे थे, ना कोई आक्रमण हुआ था, पर कोरोना का परिणाम सभी प्रभावित देशों में तो किसी भी बड़े युद्ध से भी भयानक साबित हो रहा है। शांतिकाल की यह सबसे बड़ी त्रासदी है।”
विश्वव्यापी कोरोना महामारी ने विश्वभर में सबके जीवन को संकट में डाल रखा है। इस संबंध में पुस्तक के लेखक ने अपने अनुभवों से, जो कि वास्तव में अन्य लोगों के भी अनुभव रहे हैं, अनेक समसामयिक आलेख लिखे जो समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुए। “जब दुनिया हिल उठी” उन्हीं आलेखों का एक संग्रह है। 2020 और 2021 की घटनाओं का इस पुस्तक में क्रमवार, तिथिनुसार संकलन किया गया है जिनमें घटनाओं का एक सजीव चित्रण मिलता है। ये आलेख अत्यंत भावपूर्ण ढंग से लिखे गए हैं जिन्हें पढ़कर पाठकों को कोरोना काल की एक जीवंत झलक मिलेगी। साथ ही इस पुस्तक में अन्य रोचक समसामयिक विषयों पर भी लिखे गए कुछ आलेखों को शामिल किया गया है।
डॉ राजेश वर्मा ‘राजन’ अरुणाचल प्रदेश में इतिहास के प्राध्यापक हैं। इनका जन्म स्थान भागलपुर, बिहार है। स्थाई पाता- कोयला घाट रोड, छोटी खंजरपुर , भागलपुर, बिहार-812001। लेखक की अन्य प्रकाशित पुस्तकें हैं-
बीसवीं गाँठ (उपन्यास)
स्वर्ण-काली (उपन्यास)
शिमला की डायरी (कहानियों एवं कविताओं का संकलन )
उत्तर पूर्व भारत का इतिहास
राष्ट्रवादी मुसलमान 1885-1934 (सह-लेखक)
HISTORY OF NORTH EAST INDIA
PEOPLE AND FOREST IN NORTH EAST INDIA
लेखक के सौ से ऊपर आलेख, शोध-लेख, कहानियाँ एवं कविताएं हैं।
FOLLOW AT TWEETER: Rajesh Verma@राजेश वर्मा
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