सार्थक जीवन जीने के लिए मानवीय मूल्यों का आदर एवं सुरक्षा करना हर मानव का परम कर्तव्य होता है।
Û नेक कर्म करने से मन को प्रसन्नता मिलती है और आत्मा को सुकून भी मिलता है।
Û कड़ा संघर्ष किए बिना मनचाहा मुकाम नहीं मिलता।
Û सभ्य एवं शांतिपूर्ण जीवन एक उत्तम जीवन होता है।
Û अपने आप को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखना चाहिएं। तभी धन की देवी प्रसन्न होती है और धन-धान्य का भंडार भरता भी है।
Û लोगों के साथ प्रेम पूर्वक किया गया व्यवहार अमिट छाप छोड़ जाता है।
Û अपना होकर भी जो व्यक्ति अपनों का साथ न दे, वह कभी अपना नहीं हो सकता।
Û पराधीनता की बेड़ियां जब तक नहीं टूट जातीं, तब तक आप स्वतंत्र होने का अहसास नहीं पाएंगे।
Û जल पात्र में जल तभी ठहरता है, जब उसमें कोई छेद न हो। उसी प्रकार मनुष्य में अच्छे-अच्छे गुण तभी वास करते हैं, जब उसमें कोई दुर्गुण न हों।
Û जब किसी की ओर उंगलियां उठतीं हैं, तो उसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है ।
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