किसी भी देश की प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि शैक्षिक मापकों के सूचकांकों में प्रति वर्ष उन्नयन हो यदि किसी बसाहट में उन्नयन हो रहा तो इसका तात्पर्य यह है कि उक्त बसाहट के बच्चें विद्यालय जा रहे है एवं यदि उक्त सूचकांक में कमी पाई जाती है तो यह चिन्तनीय विषय है एवं शिक्षा शास्त्रियों एवं सरकार को इसके कारणों का पता लगाकर उन्नयन दर में बढ़ोतरी का सार्थक प्रयास करना चाहिए । एक उन्नत एवं विकसित आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था में शैक्षिक सूचकांकों में प्रति वर्ष उन्नयन होता है एवं यह अधिकतम मान को प्राप्त कर स्थिर हो जाता है जबकि एक पतनशील सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था में शैक्षिक सूचकांकों में क्रमानुसार ह्यास होता जाता हैं । सरकार के विभिन्न प्रयासों के बाद भी क्या शैक्षिक सूचकांकों में परिवर्तन हो रहे हैं विद्यालयों में नामांकन होने के बावजूद क्या सकल दर्ज अनुपात सूचकांकए छात्र निरंतरता सूचकांकए जेण्डर समानता सूचकांकए वार्षिक स्थिरता सूचकांक में परिवर्तन हो रहे है अथवा नहीं बालक बालिकाओं के शाला त्याग करने की दर में क्या कमी आई है उनकी उपलब्धि तथा गुणवत्ता में क्या बढ़ौत्तरी हुई हैं इस पुस्तक में इन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास गया है इस पुस्तक का उद्देश्य यह पता लगाना है कि चयनित क्षेत्र विशेष शैक्षिक एवं सामाजिक रूप से उन्नत हो रहा है अथवा वह पतनशील व्यवस्था का अंग हैं । यह एक अत्यंत प्रभावी पुस्तक है इससे मात्र शैक्षिक मापकों के सूचकांक ही प्राप्त नहीं होंगे वरन समूचे चयनित शोध क्षेत्र में शिक्षा की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा । |
Reviews
There are no reviews yet.
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.