कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों का मानना है कि इस महामारी में बहुत सारे लोगों की मौत, जानकारी की कमी के कारण हो रही है।डॉक्टरों का ये भी मानना है कि सही समय पर सही इलाज शुरू हो जाए, तो ज़्यादातर लोगों को न तो ऑक्सीजन की जरूरत होगी और न अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा। एक बीमारी, जिसका इलाज बहुत आसान है, वो मौत का कारण इसलिए बन रही है कि आम लोगों ही नहीं, बल्कि बहुत से डॉक्टरों में भी इलाज को लेकर भ्रम की स्थिति है। इस बीमारी को लेकर सोशल मीडिया और सूचना के अन्य माध्यमों पर अथाह जानकारियां उपलब्ध हैं। लेकिन ये बताना मुश्किल है कि कौन सी जानकारी सही है और कौन सी ग़लत।
सवाल ये है कि आम आदमी कैसे समझे कि वोकोरोना से संक्रमित हो गया है। बीमारी के किस स्टेज पर वो सतर्क हो जाए और इलाज शुरू कर दे। बीमारी के किस स्टेज पर डॉक्टर कौन सी दवा दे।यह भी समझना जरूरी है कि क्या कारण है कि अस्पताल में भर्ती होने और ऑक्सीजन मिलने के बावजूद कुछ लोगों का जीवन नहीं बच पा रहा है, जबकि कुछ लोग सही समय पर, सही दवा मिलने से घर पर ही ठीक हो जा रहे हैं।
क्या मौत वायरस से हो रही है?या फिर मौत की वजह,वायरस के कारण शरीर में होने वाली कोई और प्रतिक्रिया है। क्या वायरस को ख़त्म करने वाली कोई दवा है? अब तक जितने शोध हुए हैं, उससे पता चलता है कि वायरस को ख़त्म करने वाली कोई दवा अब तक बनी ही नहीं है। तो फिर वायरस का जादुई इलाज बता कर एक दवा कीकालाबाज़ारी क्यों हो रही है। डॉक्टर उसे लेने की सिफ़ारिश क्यों कर रहे हैं? सरकार कोरोना के इलाज की एक राष्ट्रीय नीति या प्रोटोकाल क्यों नहीं बना पाई?इस सदी की सबसे बड़ी महामारी से जुड़े ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब खोजना बहुत जरूरी है।
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