चंदना कहती है, “जंगलों को फिर से उगाया जा सकता है, किन्तु यदि एक बार पहाड़ गिरा दिए गए तो उसे फिर कभी नहीं खड़ा किया जा सकता।” चंदना पहाड़िया आदिम जनजाति की एक पढ़ी-लिखी संतान है। उसके पूर्वज राजमहल (झारखंड) की पहाड़ियों में भारत में सिकंदर के आक्रमण के पूर्व से ही रहते आ रहे हैं। राजमहल की पहाड़ी श्रृंखलाओं का निर्माण धरती के बनने के काल में ही हो गया था। यह हिमालय से भी प्राचीन है। अब राजमहल की पहाड़ियों को पत्थरों के व्यापार के लिए तोड़ा जा रहा है। चंदना इसे बचाने का संघर्ष करती है। उसकी इस लड़ाई में कौन लोग साथ हैं, उसे ही इस उपन्यास में सरलता से दिखाया गया है।
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Chandana
चंदना कहती है, “जंगलों को फिर से उगाया जा सकता है, किन्तु यदि एक बार पहाड़ गिरा दिए गए तो उसे फिर कभी नहीं खड़ा किया जा सकता।” चंदना पहाड़िया आदिम जनजाति की एक पढ़ी-लिखी संतान है। उसके पूर्वज राजमहल (झारखंड) की पहाड़ियों में भारत में सिकंदर के आक्रमण के पूर्व से ही रहते आ रहे हैं। राजमहल की पहाड़ी श्रृंखलाओं का निर्माण धरती के बनने के काल में ही हो गया था। यह हिमालय से भी प्राचीन है। अब राजमहल की पहाड़ियों को पत्थरों के व्यापार के लिए तोड़ा जा रहा है। चंदना इसे बचाने का संघर्ष करती है। उसकी इस लड़ाई में कौन लोग साथ हैं, उसे ही इस उपन्यास में सरलता से दिखाया गया है।
Weight | 0.300 kg |
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Dimensions | 22 × 15 × 2 cm |
Author |
Dr. Brajesh Verma |
Publisher |
Namya press |
Series |
Paperback |
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