BundGali (Raajmahal)

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भारत के मध्यकाल में राजमहल एक ऐसी राजधानी हुआ करती थी, जहाँ से बंगाल, बिहार, उड़ीसा और ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) तक शासन चलाया जाता था। गंगा नदी के किनारे बसा हुआ शहर राजमहल अब झारखण्ड राज्य का छोटा सा इलाका मात्र है। राजमहल को मुग़ल बादशाह अकबर के प्रधान सेनापति मानसिंह ने 16वीं सदी के अंत में अपनी राजधानी बनाई थी। तब  वह बंगाल का गवर्नर हुआ करता था। यह इलाका एक तरफ से पहाड़ी श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है, जो पहाड़िया जनजाति का उन दिनों से निवास स्थान रहा है, जब सिन्धु घाटी की सभ्यता का पतन हुआ था। किन्तु अब ये पहाड़ खतरे में हैं। यहाँ व्यापक पैमाने पर पत्थरों के हो रहे कारोबार की वजह से राजमहल की पहाड़ियों को जिस तरह से तोड़ा जा रहा है, वे आने वाले समय में यहाँ के इतिहास को पूरी तरह से मिटा देंगे। गंगा भी सिकुड़ती चली जा रही है। राजमहल अब खोयी हुई राजधानी से भी आगे बढ़कर एक “बंद गली” के रूप में परिवर्तित हो चुका है। यह पुस्तक सत्य घटनाओं पर आधारित है।

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Description

भारत के मध्यकाल में राजमहल एक ऐसी राजधानी हुआ करती थी, जहाँ से बंगाल, बिहार, उड़ीसा और ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) तक शासन चलाया जाता था। गंगा नदी के किनारे बसा हुआ शहर राजमहल अब झारखण्ड राज्य का छोटा सा इलाका मात्र है। राजमहल को मुग़ल बादशाह अकबर के प्रधान सेनापति मानसिंह ने 16वीं सदी के अंत में अपनी राजधानी बनाई थी। तब  वह बंगाल का गवर्नर हुआ करता था। यह इलाका एक तरफ से पहाड़ी श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है, जो पहाड़िया जनजाति का उन दिनों से निवास स्थान रहा है, जब सिन्धु घाटी की सभ्यता का पतन हुआ था। किन्तु अब ये पहाड़ खतरे में हैं। यहाँ व्यापक पैमाने पर पत्थरों के हो रहे कारोबार की वजह से राजमहल की पहाड़ियों को जिस तरह से तोड़ा जा रहा है, वे आने वाले समय में यहाँ के इतिहास को पूरी तरह से मिटा देंगे। गंगा भी सिकुड़ती चली जा रही है। राजमहल अब खोयी हुई राजधानी से भी आगे बढ़कर एक “बंद गली” के रूप में परिवर्तित हो चुका है। यह पुस्तक सत्य घटनाओं पर आधारित है।

Additional information

Weight 0.250 kg
Dimensions 22 × 15 × 2 cm

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