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Brjakavitavalee

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हो गौरी के लाल गजानन लम्बोदर नाम तुम्हारा है।

गणपति कहती सारी दुनिया फिर क्या दोष हमारा है

वक्रतुंड और महाकाय है बारह नाम गजानन के।

सूर्य कोटि सम मूषक वाहन मोदक भोग तुम्हारा है।।

 

  1. ऋद्धि-सिद्धि ले संग गजानन अंगना पधारो हमारे में।

कृपादृष्टि हम सब पर राखो हम तो भक्त तुम्हारे हैं।

धूप दीप से करें आरती चंदन तिलक लगाएंगे।

पार्वती है मात तुम्हारी और भोले पिता तुम्हारे हैं।।

 

  1. एकदंत हो आप गजानन बुद्धि प्रदाता कहलाये ।

हारते हो तुम्हीं दुख उनके जो जन तेरे द्वारे आये।

प्रथम पूज्य हैं सारे जग में लेकिन मुझको भान नहीं।

मोदक भोग लगाए मोहन जो गणपति के मन भाये।।

 

  1. रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता शुभ लाभ पुत्र तुम्हारे हैं

उनका भला सदा होता है जिनके घर आप पधारे हैं।

मेरे मन मन्दिर में गणपति आन बिराजो श्रद्धा से

दीन हीन हूँ आपका सेवक नहीं कुछ पास हमारे है।।

 

 

वंदना गणेशजी की

गजानन को चढ़ाओ लड्डू तो वे काम बनाएंगे।

तिलक लगा कर करो परिक्रमा तो वे घर भी आएंगे।

दूब चढ़ा कर करो स्वागत मूषक वाहन वाले का।

Weight 0.300 kg
Dimensions 22 × 15 × 2 cm
Author

BrijMohan Tyagi

Publisher

Namya press

Series

Paperback

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