मैने कहानियों में स्थान सच्चे रखे है जिससे कहानियों में और अधिक वास्तविकता नज़र आए।बाकी तो आप सभी ये अच्छी तरह से समझते हैं कि कोई भी कहानी सौ प्रतिशत सच नहीं होती और ना ही सौ प्रतिशत झूठी या काल्पनिक होती है।कहानी के सृजन में सच के साथ ही कल्पना के भी कुछ तंतु होते हैं ।अलग-अलग समय पर अलग-अलग मानसिकता के साथ कहानियों का सृजन हुआ है।
कहानी-संग्रह की इस यात्रा में सबसे पहले मैं अपनी धर्मं – पत्नी श्रीमति कुमकुम जौहरी के निरन्तर सहयोग के प्रति अनुगृहित हूँ जिन्होंने परिवार के सभी उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुए न केवल इस कहानी-संग्रह के सृजन मे अभूतपूर्व योगदान दिया बल्कि पहले के दोनों संग्रहों में भी इनका उतना ही योगदान एवं सहयोग रहा है।उनके सहयोग के बिना मेरे सृजन शायद आप तक पहुंच ही नहीं पाते।
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